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हिन्दी वस्तुतः फारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ हिन्दी या हिन्द से सम्बन्धित है । हिन्दी शब्द की व्युत्पत्ति सिन्धु या सिन्ध से हुई है क्योंकि ईरानी भाषा में ‘स‘ को ‘ह‘ बोला जाता है । इस प्रकार हिन्दी शब्द वास्तव मे सिन्धु शब्द से बना है । 
हिन्दी शब्द का अर्थ हिन$दु  ‘हिन‘ का अर्थ हनन करने वाला और ‘दु‘ का अर्थ दुष्ट अर्थत हिन्दु का अर्थ दुष्टों का हनन करने वाला है । 
हिन्दी आधुनिक आर्य भाषाओं में से एक है । आर्य भाषा का प्राचीनतम रूप वैदिक संस्कृत है जो साहित्य की परिनिष्ठित भाषा है । वैदिक भाषा में वेद संहिता एवं उपनिषदों वेदांतों का सृजन हुआ है । 
हिन्दी को संवैधानिक स्थिति को संविधान निर्माताओं ने राष्ट्र भाषा के रूप में प्रस्तुत किया किन्तु संविधान निर्माताओं ने मांग को ध्यान में रखकर 14 सितम्बर 1949 को राजभाषा के पद पर आसीन किया । 
संविधान के भाग -17 के अनुच्छेद 343 से 351तक में राजभाषा के सम्बन्ध में प्रावधन किया गया हैे । 
हिन्दी भाषा प्राचीनतम भाषओं में से है । इस भाषा में अनेक गुण विद्यमान है जो निम्नांकित है:- 
1. हिन्दी भाषा एक प्रतीक प्रणाली है । भाषा के व्याकरण से से सार्थक वाक्याों का निर्माण करने में सक्षम है  । 
2. विचारों के आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण साधन है इसके द्वारा मनुष्य अपनीी अनुभूतियों तथा भावों को व्यक्त करता है । 
3. हिन्दी भाषा अपनी इसी प्रकृति के कारण भाषा और मानसिक व्यापार तथा सामाजिक व्यापार से जुडी हैे ।
4. हिन्दी भाषा का मुख्य गुण है परिवर्तनशीलता । हिन्दी भाषा से व्यक्ति अनुकरण व्यवहार और अधिक कुशलता से भाषा को ग्रहण करता है । 
5. संप्रेधण व्यवस्था के विभिन्न उपादान इहै इसमें वक्ता और श्रोता की महत्वपूर्ण भूमिका है । वक्ता अपने विचारों को दूसरोें तक प्रषित करता है । तथा दूसरों के द्वारा संप्रेषित विचारोें को ग्रहण करता है तभी भाषा का कार्य सम्पादित होता है और बातचीत संभव होती है । 
6. हिन्दी भाषा बहता नीर है जिसमें सदैव गतिशीलता बनी रहती है । 
    हिन्दी की वैश्विक स्थिति काफी बेहतर है । विश्व के सभी महत्वपूर्ण देशों के विश्वविद्यालयों में हिन्दी का अध्ययन-अध्यापन हो रहा है परन्तु विडम्बना यह है कि विश्व में अपनी स्थिति के बावजूद हिन्दी भाषा अपनें ही घर में उपेक्षित जिंदगी जी रही है । हमें नये सिरे से प्रयास करके हिन्दी भाषा को उसके गौरव को प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए ।ं